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नौकरियों को ठेकेदारों के हवाले करना कितना उचित

नौकरियों को ठेकेदारों के हवाले करना कितना उचित

-के सी पिप्पल

उत्तर प्रदेश में आउटसोर्सिंग एम्प्लाइज का कंसोलिडेटेड कोई आंकड़ा उपलब्ध न होने के कारण प्रदेश के ताजा बजट में विभागानुसार आउटसोर्सिंग सेवा पर कुल खर्च को प्रदेश की प्रतिव्यक्ति आय से विभाजित कर अनुमानित संख्या प्राप्त करने की कोशिश की है। वास्तविक बजट 2019-2020 के मद संख्या 58 के विरुद्ध  विभागों का आउटसोर्सिंग सेवाओं पर कुल व्यय ₹64819.36 लाख है जबकि 2018-19 के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार उत्तरप्रदेश की प्रतिव्यक्ति आय ₹61351है। प्रति व्यक्ति सालाना आय से कुल आउटसोर्सिंग सेवा पर होने वाले सालाना व्यय को विभाजित करने पर आउटसोर्सिंग कर्मियों की अनुमानित संख्या 1 लाख 05 हजार हो सकती है। इसी तरह अगर चालू वित्त वर्ष 2021-2022 के बजट आकलन की बात करें तो मद संख्या 58 के विरुद्ध सभी विभागों का आउटसोर्सिंग सेवाओं पर कुल व्यय ₹88508.98 लाख है जबकि 2021 में उत्तरप्रदेश की प्रतिव्यक्ति सालाना आय ₹70000/- के लगभग है। इस प्रति व्यक्ति आय से कुल आउटसोर्सिंग सेवाओं पर होने वाले 2021 के बजटीय व्यय को विभाजित करें तो आज आउटसोर्सिंग कर्मियों की अनुमानित संख्या 1 लाख 26 हजार हो सकती है (तालिका 1)

तालिका 1: उप्र. सरकार के नियमित और संविदा कर्मचारियों पर होने वाला बजटीय व्यय का ब्यौरा

(₹ लाख))

 व्यय शीर्ष

 

2019-2020

2020-2021

2020-2021

2021-2022

वास्तविक

  बजट

संशोधित

बजट

बजट

आकलन

बजट

आकलन

कुल व्यय - नियमित राज्य कर्मचारियों पर

(शीर्ष- 01+03+06+50+52+55+56+57)  

5217422.26

6968366.83

5292083.48

7398081.65

01. वेतन के लिए भुगतान

4012554.14

5205770.14

4191869.63

5371089.98

03. महंगाई भत्ते का भुगतान

648166.72

1291711.20

724844.49

1599784.05

अन्य (शीर्ष- 06+50+52+55+56+57)

556701.4

470885.49

375369.36

427207.62

आकस्मिक कर्मचारियों/रोजगार पर व्यय

02. मजदूरी का भुगतान

135769.99

239816.10

239816.10

249483.05

07. मानदेय का भुगतान

183359.64

223443.27

223443.27

201912.24

58. आउटसोर्सिंग सेवाओं के लिए भुगतान

64819.36

80099.61

80099.62

88508.98

59. एकमुश्त नियोक्ता/ग्राहक अंशदान और उस पर ब्याज

9.08

460072.11

161025.19

301861.07

कुल व्यय- व्यय (शीर्ष- 02+07+58+59) पर

383958.07

1003431.09

704384.18

841765.34

नियमित प्रदेश कर्मचारियों की संख्या और उनके वेतन-भत्तों पर बजट-व्यय

31 मार्च 2020 को उत्तर प्रदेश में सरकारी, सार्वजानिक क्षेत्र के उपक्रमों और सहायता प्राप्त संस्थाओं के कुल कर्मचारियों की संख्या 20 लाख 58 हजार है,  इनके वेतन और भत्तों पर वर्ष 2020 के दौरान कुल ₹100175.44 करोड़ रूपये व्यय हुए थे। जबकि वित्त वर्ष 2020-21 में प्रदेश सरकार के दफ्तरों में लगभग 1.26 लाख कॉन्ट्रेक्ट कर्मियों की संख्या थी उनको मजदूरी के रूप में मात्र ₹800.99 करोड़ भुगतान किये गए। इस तरह एक संविदाकर्मी को औसतन ₹6318 मासिक भुगतान किया गया जबकि प्रदेश के सरकारी, सार्वजानिक और सहायता प्राप्त संस्थाओं के प्रति कर्मचारी के हिस्से में वेतन और भत्तों सहित मासिक आय ₹34064 औसत रूप से भुगतान की गयी है (तालिका  1 & 2)

तालिका 2: 31 मार्च 2020 को उत्तर प्रदेश कर्मचारियों की संख्या और उनके वेतन-भत्तों पर व्यय

विभागों की संख्या

विवरण (वेतन और भत्तों पर व्यय)

उपक्रमों की संख्या

कर्मचारियों की संख्या

वेतन और भत्तों पर व्यय (₹ लाख)

73

प्रपत्र ख-7: सरकारी कर्मचारियों पर

सभी

1276375

5217422.26

24

प्रपत्र ख -8: सार्वजानिक क्षेत्र के उपक्रम कर्मचारियों पर 

42

92240

753099.47

26

प्रपत्र ख-9: सहायता प्राप्त संस्थाओं में कर्मचारियों पर

169307

689579

4047022.22

123

योग (प्रपत्र ख- 7+8+9) के सभी कर्मचारियों पर

169349

2058194

10017543.95

सभी

शीर्ष 58. आउटसोर्सिंग सेवाओं के कर्मचारियों पर

सभी

105653

80099.61

स्रोत: उत्तर प्रदेश बजट दस्तावेज़ 2021-22 द्वारा उत्पन्न तालिका

नियमित सरकारी कर्मचारी और संविदा कर्मी के वेतन में भारी अंतर

नियमित सरकारी कर्मचारियों की बात करें तो अकेले इनकी संख्या पूरे प्रदेश के सभी विभागों में मिलाकर 1276375 है और वर्ष 2020 में इनको वेतन और भत्तों के रूप कुल 52174.22 करोड़ का भुगतान किया गया, औसतन एक कर्मचारी के हिस्से में एक माह में 34064 आया। इस तरह नियमित सरकारी कर्मचारी और संविदा कर्मी के औसत मासिक वेतन में 27000 से अधिक का अंतर है। संविदा कर्मी की एक वर्ष की औसत आय नियमित सरकारी कर्मचारी के मुकाबले ३लाख २७ हजार रूपये कम हो जाती है।  इसके अतिरिक्त संविदा कर्मियों की नौकरी की कोई सुरक्षा की गारंटी नहीं है कोई भत्ता नहीं मिलता है। इतनी कम कमाई और वो भी अस्थाई, बताइये कैसे परिवार का गुजरा होता होगा यह सोचने की है। इस तरह संविदा कर्मी, आशा वर्कर, आंगनबाड़ी वर्कर, शिक्षा मित्र इत्यादि सभी की नौकरी की कोई संविधानिक और क़ानूनी सुरक्षा न होने कारण इस तरह के लाखों कर्मिंयों का हाल मनरेगा मजदूरों से भी गया बीता है। सत्ताधारी राजनितिक पार्टियां इलेक्शन के समय में इनका खुलकर दुरपयोग करने के लिए अनुकम्पा राशि बढ़ाने का आश्वासन देकर करतीं हैं। इन सब भारी विसंगतियों के चलते सुप्रीमकोर्ट और हाईकोर्ट ने इस प्रकार की नौकरियों पर रोक लगा दी थी।  लेकिन उत्तर प्रदेश में यह भर्तियां ठेकेदारों के जरिये अभी भी जारी हैं। 

हाईकोर्ट ने लगाई सरकारी विभागों में संविदा भर्तियों पर रोक

23 नवम्बर 2019 का हिंदुस्तान, लखनऊ की रिपोर्ट के अनुसार हाईकोर्ट की लखनऊ खण्डपीठ ने अहम फैसला देते हुए पूरे प्रदेश के सरकारी विभागों में नियमित स्वीकृत पदों पर आउटसोर्सिंग से हो रही संविदा भर्तियों पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के उमादेवी केस के बाद सेवा प्रदाता फर्मों से किस नियम से सरकारी विभागों में संविदा भर्तियां हो रही हैं? 

यह आदेश न्यायमूर्ति मुनीस्वर नाथ भंडारी व न्यायमूर्ति विकास कुंवर श्रीवास्तव की पीठ ने याची मेसर्स आर एम एस टेक्नोसलूशन लि. की ओर से दायर याचिका पर दिए हैं। अदालत ने इस मुद्दे पर राज्य सरकार से जानकारी मांगी है कि आउटसोर्सिंग से नियमित पदों के सापेक्ष संविदा या कांट्रैक्ट पर किस तरह से भर्तियां हो रही हैं।

अदालत ने यह भी जानना चाहा कि सुप्रीम कोर्ट के उमा देवी के केस के बाद 13 वर्ष बीत चुके हैं। कहा कि इस मामले में पदों को भरे जाने संबंधी सरकार की क्या नीति है। सुनवाई के समय यह बात भी आई कि आउटसोर्सिंग से भर्ती किया जाना न्यायोचित नहीं है। सरकार की ओर से बताया गया कि इस मामले में सरकार नीति बना रही है और शीघ्र ही भर्ती की नीति बन जाएगी। अदालत ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए पूरे प्रदेश में मैनपवार सप्लाई से सरकारी दफ्तरों में भर्तियों पर रोक लगा दी है।

क्या है उमा देवी केस?

कर्नाटक राज्य बनाम उमा देवी के केस में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी थी कि सरकारी विभागों में बिना किसी स्वीकृत पद के बैकडोर से, अस्थाई, तदर्थ, वर्कचार्ज के रूप में नियुक्ति गैर कानूनी है। कोर्ट ने कहा कि पद के बिना पहले तो काम पर लगा लिया बाद में कुछ वर्षों बाद वह व्यक्ति अनुभव के आधार पर नियमित होने की मांग करता है यह कानून की नजर में गलत है। इस प्रथा से नियमित पदों पर आने या नियुक्त होने वालों का हित प्रभावित होता है। इस केस से सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2006 से बैक डोर एंट्री को समाप्त कर दिया था।

प्रदेश में नौकरियों की तजा जानकारी

यूपी में 42 निगम एवं सार्वजनिक उपक्रम हैं जिनमें 92240 नियमित कर्मचारी काम करते हैं उनके  लिए मार्च 2020 में  ₹7531 करोड़ रूपये का बजट था। इसी तरह प्रदेश के अधीन सहायता प्राप्त संस्थानों की संख्या 1 लाख 69 हजार 307 है जिसमें 6 लाख 89 हजार 579 नियमित कर्मचारी काम करते हैं जिनके लिए मार्च 2020 में 40470.22 करोड़ का बजट निर्धारित किया था। रिटायरमेंट के चलते 75 हजार से अधिक नियमित पद 2019 में खाली थे अब इनकी संख्या और भी बढ़ सकती है। इस बार चालू वित्त वर्ष 2021-22 में ₹885.09 करोड़ का आउटसोर्सिंग का सेवाओं हेतु बजट है। उप्र में अकेले  नियमित राज्य कर्मचारी 12 लाख 76 हजार 375 हैं (तालिका 2)

प्रदेश के सरकारी विभागों में नियमित स्वीकृत पदों पर आउटसोर्सिंग से हो रही संविदा भर्तियों पर कोर्ट की रोक लगने के बाद प्रदेश में करीब सवा चार लाख पद खाली हैं। केंद्र व राज्य दोनों मिलाकर यूपी में करीब 7 लाख आउटसोर्सिंग कर्मचारी हैं। हाल में कुछ सीधी भर्तियां हुईं थीं जिनमें 68500 शिक्षक भर्ती हुए और 69000 शिक्षक भर्ती के लिए लिखित परीक्षा हुई जिसके परिणाम में OBC कोटा न देने को लेकर बड़ा विवाद आज भी चल रहा है। पुलिस विभाग में 75000 सिपाहियों की नई  भर्तियां भी हुईं थीं। अभी योगी सरकार ने 3 लाख से अधिक नौकरियां देने का जो  बायदा इलेक्शन 2022 के चलते किया है उसकी सच्चाई आने वाले समय में पता चल जाएगी अन्यथा यह खोखला चुनावी वायदा ही रह जायेगा । 

उप्र. में कॉन्ट्रैक्टर प्रणाली द्वारा सरकारी भर्ती का नमूना

कार्मिक अनुभाग-2, लखनऊ द्वारा उत्तर प्रदेश के शासकीय विभागों एवं उसके अधीनस्थ संस्थाओं में मैनपावर के क्रय (आउटसोर्सिंग आफ मैनपावर) के लिए भारत सरकार द्वारा विकसित जेम (Government E Marketplace -GEM) की व्यवस्था लागू किये जाने के संबंध में।

उत्तर प्रदेश के शासकीय विभागों एवं उसके अधीनस्थ संस्थाओं में सामग्री एवं सेवाओं के क्रय के लिए भारत सरकार द्वारा विकसित जेम की व्यवस्था लागू किये जाने विषयक सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम अनुभाग के शासनादेश का कृपया संदर्भ ग्रहण करने का कष्ट करें जिसके माध्यम से उत्तर प्रदेश के शासकीय विभागों एवं उनके अधीनस्थ संस्थाओं में सामग्री एवं सेवाओं के लिए जेम उपयोग अनिवार्य किया गया है। अतएव, सेवायें, जो जेम-पर उपलब्ध है, के स्थान पर अन्य प्रकार से क्रय नहीं की जानी चाहिए।  

2-  मैनपावर जेम से क्रय करने के सम्बन्ध में मुख्य व्यवस्थाएं / विशेषताएं निम्नवत् है:

1)   जेम पोर्टल पर बड़ी संख्या में सेवा प्रदाता पंजीकृत हैं और पूरे देश में अनेक संस्थाएं वर्तमान में जैम से मैनपावर प्राप्त कर रही हैं।

2)   इस पोर्टल पर सेवा प्रदाताओं की प्रोफाइल तथा ट्रैक रिकार्ड का क्यू०सी०आई० (क्वालिटी काउंसिल आफ इंडिया) द्वारा वैलिडेशन होने के बाद ही पंजीकरण होता है।

3)    सेवा प्रदाताओं की सेवाओं के आधार पर लगातार रेटिंग होती रहती है।

4)    किसी भी प्रकार की शिकायत (ऑनलाइन पंजीकृत होती है) के आधार पर सेवा प्रदाताओं के विरुद्ध कार्यवाही भी होती है जिसमें तीन माह से लेकर तीन साल तक सेवा प्रदाता को डीलिस्ट किया जा सकता है। डीलिस्ट सेवा प्रदाताओं की सूची पोर्टल के होम पेज पर रियल टाइम में सभी क्रेताओं की सूचना हेतु उपलब्ध रहती है।

5)  जेम पर भारत सरकार की प्रोक्युरमेंट से संबंधित गाइडलाइंस बिड मॉड्यूल में प्रयोग की गई हैं। जिससे प्रतिस्पर्धात्मक एवं पारदर्शी क्रय संभव होता है। सेवा प्रदाताओं हेतु जेम में बिड करने के लिए अत्यधिक अवरोधक शर्तें क्रेताओं द्वारा न लगाये जाने आदि के लिए पोर्टल पर ऑटोमेटिक व्यवस्था है।

6)  ऑटसोर्सिंग सेवा हेतु सर्विस लेवल तथा वेतन तथा निर्धारित कटौतियां (ईपीएफ, ईएसआई) समय से शासन द्वारा निर्धारित खातों में जमा किया जाना आदि कांट्रैक्ट में विस्तृत रूप से निर्धारित है। 

7)   इन सभी सेवा शर्तों के अनुपालन के आधार पर सेवा प्रदाता को निर्धारित समय पर (मासिक, त्रैमासिक) निर्देशित किया जाता है।

8)    किसी भी शर्तों के उल्लंघन की स्थिति में विस्तृत पेनाल्टी का भी प्रावधान है। उदाहरण के लिए यदि वेतन समय से नहीं दिया जाता है तो प्रति कर्मचारी 100 रुपये प्रति दिन का जुर्माना नियत है। यदि क्रेता द्वारा ऐसे उल्लंघन के लिए और अधिक पेनल्टी नियत करायी जानी है, तो उसे सम्मिलित करने का प्राविधान है।

9)  जेम के सामान्य नियम व शर्तों में है कि अनुबन्ध (Contract) क्रेता व सेवा प्रदाता के बीच है। यदि किसी कान्ट्रैक्ट के प्रचलित रहते हुए अन्य किसी प्रकरण में सेवा प्रदाता के विरुद्ध डिलिस्टिंग की कार्यवाही अमल में लायी जाती है तो इस सूचना के आधार पर अन्य क्रेता अपने स्वविवेक से अपना कांट्रैक्ट जारी रखने या समाप्त करने का निर्णय ले सकते हैं, परन्तु अन्य प्रचलित कान्ट्रेक्ट स्वतः समाप्त नहीं होंगे।

10)  यदि किसी क्रेता द्वारा किसी विशेष शर्त की आवश्यकता अनुभव की जाती है (जैसे कि निर्धारित से भिन्न न्यूनतम बिड राशि/ न्यूनतम टर्नओवर अथवा कर्मियों की संख्या के अनुसार अन्य शर्ते) तो जेम में क्रेता के क्रय हेतु विशेष शर्त को सम्मिलित किये जाने की भी व्यवस्था उपलब्ध है। 

11)  जेम पोर्टल पर एक व्यवस्था यह भी है कि कोई क्रेता यदि अपने अनुरूप नई शर्तें जोड़कर बिड प्राप्त करना चाहता है तो वह जेम पर नई शर्त का सुझाव प्रेषित कर सकता है और जेम द्वारा शर्त को उपयुक्त पाये जाने पर क्रेता विशेष के लिए अथवा सामान्य रूप से बिड में जोड़ा जा सकता है। इस प्रकार कर्मियों से जबरदस्ती यदि कोई धनराशि सेवा प्रदाता लेने का प्रयास करता है तो सेवा प्रदाता पर कार्यवाही की शर्त जोड़ी जा सकती है।

3- उल्लेखनीय है कि सामान्यतः आउट सोर्सिंग कर्मियों के रखने में चार स्तरों पर भ्रष्टाचार की संभावना होती है:-

1)    सेवा में रखे जाने के बाद समय से एवं पूर्ण भुगतान की एवज में कर्मियों से वसूली सम्भव है। इसे रोकने के लिए उपर्युक्त पैरा 2 के बिन्दु-11 की व्यवस्था का उपयोग करने का प्रयास किया जायेगा। इसके लिए सेवा प्रदाताओं हेतु यह स्पष्ट शर्त जोड़ी जानी होगी कि इससे सम्बन्धित शिकायत प्राप्त होने पर सेवा प्रदाता के विरुद्ध डीलिस्टिंग की कार्यवाही करने का अधिकार क्रेता विभाग/ एजेन्सी को होगा।

2)    भ्रष्टाचार का दूसरा बड़ा बिन्दु कर्मियों के चयन के समय उत्पन्न हो सकता है। इसे रोकने के लिए पुनः पैरा 2 के बिन्दु-11 की व्यवस्था का उपयोग करते हुए यह अतिरिक्त शर्त जेम में जुड़वाने का प्रयास किया जायेगा कि सेवा प्रदाता द्वारा उत्तर प्रदेश सेवायोजन विभाग द्वारा संचालित sewayojan.up.nic.in पोर्टल पर उपलब्ध आवेदकों में से ही कर्मी दिये जाएंगे। अभी सेवायोजन विभाग के पोर्टल पर केंडिडेट्स को वरिष्ठता क्रम में रखने अथवा पोर्टल पर आवेदन करताओं में से रेण्डम चयन की व्यवस्था नहीं है। सेवायोजन विभाग द्वारा अपने पोर्टल को संशोधित करना होगा। सेवायोजन के पोर्टल में यह बदलाव करके सेवा प्रदाताओं द्वारा अनिवार्य रूप से इस पोर्टल से ही वरिष्ठतम अथवा कंप्यूटर द्वारा रैंडम आधार पर चयनित कर्मी उपलब्ध कराने की बाध्यता जेम पोर्टल पर अतिरिक्त शर्त के रूप में जोड़ने से यह समस्या बहुत हद तक सीमित होगी। सेवायोजन के पोर्टल पर अभी ऐसी व्यवस्था नहीं है कि एक ही व्यक्ति बार बार, पृथक-पृथक कमांक पर अपना पंजीकरण न करा सके, हालांकि उनके पोर्टल पर आधार नम्बर का प्राविधान है। सेवायोजन विभाग को अपने पोर्टल पर ऐसी व्यवस्था बनानी होगी कि एक ही व्यक्ति मल्टीपल पंजीकरण न करा सके।

3)  कर्मचारियों को तंग करने की एक संभावना उनके आउटसोर्सिंग के माध्यम से सेवायोजित होने के उपरान्त प्रत्येक अंतराल बाद उनके निरंतरीकरण के समय उत्पन्न हो सकती है। इसे रोकने के लिए पैरा 2 के बिन्दु-11 का उपयोग कर जेम पोर्टल में नई शर्त जुड़वाने का प्रयास किया जायेगा कि एक बार किसी कर्मी को तैनात करवाने के बाद सेवा प्रदाता स्वमेव उसे बदल नहीं सकता है।

4)   जेम के माध्यम से ही आउटसोर्स कर्मी लेने की अनिवार्यता किए जाने से वर्तमान में कार्य कर रहे आउटसोर्स कर्मीयों की निरंतरता भंग नहीं होगी। अतः प्रस्तर-2 के बिन्दु-11 का उपयोग करके जैम पर एक नई शर्त भी जुड़वाने का प्रयास किया जायेगा कि वर्तमान में कार्य कर रहे आउटसोर्स कर्मियों को ही जेम पोर्टल द्वारा चयनित सेवा प्रदाताओं द्वारा रखा जायेगा। केवल नवीन कर्मी ही सेवायोजन पोर्टल से प्रस्तर-3(2) के अनुसार लिए जायेंगे।

4- उक्त के अतिरिक्त निम्न शर्तें भी बिड की शर्तों में सम्मिलित करायी जायेंगी:

1)   कर्मियों को विलम्ब से भुगतान किये जाने की स्थिति में विभाग द्वारा आउटसोर्सिंग एजेन्सी को उपलब्ध करायी गयी धनराशि पर 18 प्रतिशत ब्याज व पैनाल्टी भी लगायी जाय।

2)   सेवा प्रदाता एजेन्सी के चयन हेतु न्यूनतम अर्हताए भी निश्चित कर दी जाएं ताकि सक्षम सेवाप्रदाता द्वारा ही सेवा प्रदत्त की जा सके।

3)  सेवायोजन विभाग द्वारा तैयार किये गये पोर्टल से कैन्डीडेट्स को वरिष्ठता क्रम अथवा रेन्डम व्यवस्था के अंतर्गत चयन किये जाने हेतु सेवा प्रदाता विभागों द्वारा कर्मियों की मांग यथा- एक कर्मी के लिए पोर्टल से पाँच आवेदनकर्ताओं को और दो या दो से अधिक कर्मियों की मांग पर तीन गुना आवेदनकर्ताओं में से परन्तु न्यूनतम दस आवेदनकर्ताओं में से चयन, एक पारदर्शी व्यवस्था बनाकर उनकी क्षमता, योग्यता का मूल्यांकन करते हुए किया जायेगा, जिसमें क्रेता विभाग की भागीदारी भी सुनिश्चित की जायेगी। 

5- इस सम्बन्ध में मुझे यह कहने का निर्देश हुआ है कि उपरोक्त प्रस्तर-2 में उल्लिखित बिन्दुओं के आधार पर जेम पोर्टल की उपयोगिता को देखते हुए सम्यक विचारोपरान्त यह निर्णय लिया गया है कि समस्त विभागों एवं उनके अधीनस्थ संस्थाओं में केवल जेम पोर्टल से ही मैनपावर आउटसोर्स किया जाय। उक्त के अतिरिक्त प्रस्तर-3 में उल्लिखित समस्याओं के क्रमशः निराकरण के सम्बन्ध में उचित शर्ते प्रस्तर-4 में दी गई व्यवस्था के अनुरूप GeM पोर्टल में जुड़वाने की कार्यवाही सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग तत्काल सुनिश्चित करायेंगे तथा इस सम्बन्ध में अपने उक्त संदर्भित पत्र के क्रम में एक समेकित आदेश जारी करेंगे। इस आदेश के जारी होने की तिथि से मैनपावर आउटसोर्सिंग हेतु समय-समय पर राज्य सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा नामित एजेन्सियाँ यथा-श्रीट्रान/ अपट्रान/ यूपीडेस्को/ यूपीएसआईसी इत्यादि जिनके माध्यम से वर्तमान में आउटसोर्सिंग व्यवस्था प्रचलित है, से सम्बन्धित समस्त आदेश निरस्त माने जायेंगे।

6- सेवायोजन विभाग के पोर्टल पर कैन्डीडेटस को वरिष्ठता कम में रखने अथवा पोर्टल पर आवेदन कर्ताओं में रैण्डम चयन की व्यवस्था नहीं है। सेवायोजन विभाग द्वारा अपने पोर्टल को तत्काल संशोधित करना होगा। सेवायोजन के पोर्टल में यह बदलाव करके सेवा प्रदाताओं को अनिवार्य रूप से इस पोर्टल से ही वरिष्ठतम अथवा कम्प्यूटर द्वारा रेण्डम आधार पर कर्मियों को उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाएगी (सेवायोजन विभाग इसमें से एक विकल्प चुनकर तय करेंगे)।

7- सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम तथा सेवायोजन विभाग द्वारा उपरोक्त व्यवस्थाओं के संबंध में इस शासनादेश के निर्गत किए जाने की स्थिति से 45 दिन के अंदर प्रत्येक दशा में संगत कार्यवाही सुनिश्चित कराई जाएगी।

8- उक्त संदर्भ में मुझे यह भी कहना है कि वर्तमान में पिछले साल के अनुबंध (कॉन्ट्रैक्ट) इस नई व्यवस्था के लागू होने से स्वत: समाप्त नहीं होंगे बल्कि प्रश्नगत अनुबंध की वैधता अवधि अथवा छह माह, जो भी कम हो, तक क्रियाशील रहेंगे।

अतः अनुरोध है कि कृपया शासन द्वारा दिए गए निर्णय का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए अपने अधीनस्थ कार्यालयों को निर्देशित करने का कष्ट करें।

वित्तीय वर्ष 2020-21 में जेम पोर्टल (GEM) के माध्यम से आउटसोर्सिंग फर्म चयन हेतु बिड की नियम एवं शर्ते:-

1.     बिडर को विगत तीन वर्षों का समान श्रेणी के कार्मिकों को शासकीय विभागों में आपूर्ति का अनुभव होना अनिवार्य है।अनुभव प्रमाण पत्र के साथ-साथ कार्यादेश/ नवीनीकरण पत्रावली भी उपलब्ध कराना है। 

2.   बिडर को विगत तीन वर्षों का सी०ए० द्वारा प्रमाणित बैलेंस शीट जिसमें प्रति वर्ष धनराशि ₹12.78 लाख तथा कम से कम कुल धनराशि ₹38.34 लाख का टर्नओवर हो, विड के साथ अपलोड करना अनिवार्य है।

3.   बिड डालने हेतु ई०एम०डी० के रूप में 5 प्रतिशत धनराशि ₹213041.00 अर्नेस्ट मनी के रूप में डी०डी०/ बैंक गारण्टी/ एफ०डी०आर० जो जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के पक्ष में जारी किया गया है, अपलोड करना अनिवार्य है। बिड स्वीकृत न होने की स्थिति में अर्नेस्ट मनी की धनराशि वापस कर दी जायेगी। सफल बिडर की अर्नेस्ट मनी की धनराशि बन्धक के रूप में रखी जायगी। 

4.    एम०एस०एम०ई० में पंजीकृत फर्मों को अर्नेस्ट मनी में छूट प्राप्त करने हेतु सक्षम प्राधिकारी द्वारा निर्गत प्रमाण पत्र संलग्न करना अनिवार्य होगा।

5.    फर्म या कर्मचारी भविष्य निधि व कर्मचारी पेंशन स्कीम में रजिस्ट्रेशन होना अनिवार्य है।

6.     बिडर द्वारा जमा अर्नेस्ट मनी पर विभाग द्वारा कोई ब्याज देय नहीं होगा।

7.     बिडर को ₹100/- के स्टाम्प पेपर पर फर्म के काली सूची में न होने का शपथ पत्र उपलब्ध कराना होगा।

8.    बिड स्वीकृत होने के फलस्वरूप बिडर को ₹100/- के स्टम्प पेपर पर अनुबन्ध करना अनिवार्य होगा।

9.   किसी भी विवाद की स्थिति में जिलाधिकारी/ अध्यक्ष जिला शिक्षा परियोजना समिति अमेठी द्वारा लिया गया निर्णय अन्तिम एवं सर्वमान्य होगा। 

10.  उक्त समस्त कार्यवाही अपर मुख्य सचिव उ०प्र० शासन के शासनादेश, सुक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम अनुभाग, लखनऊ एवं जेम पोर्टल की निर्धारित नियम एवं शर्तों के अधीन रहेगी।

बिडर द्वारा उपरोक्त की समस्त शर्ते तथा समय-समय पर विभाग द्वारा जारी नियम-निर्देश माने जायेगें। इसमें फर्म को कोई आपत्ति नहीं होगी। फर्म के प्रो. का मोहर सहित हस्ताक्षर

अल्पकालीन निविदा विज्ञप्ति

अपर मुख्य सचिव उ०प्र० शासन के शासनादेश संख्या- सुक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम अनुभाग, लखन, अगस्त 2020 द्वारा प्रदत्त निर्देश के क्रम में जिला परियोजना कार्यालय सर्व शिक्षा अभियान जनपद पर अस्थाई रूप से संविदान्तर्गत सृजित पदों हेतु कार्मिक मैनपावर (आउटसोर्सिंग ऑफ मैनपावर) के लिये भारत सरकार द्वारा विकसित गवर्नमेण्ट ई-मार्केटप्लेस, जेम (GEM) के माध्यम से लिया जाना है। उक्त कार्मिकों को लिये जाने हेतु आउटसोर्सिग फर्म के चयन हेतु आनलाईन प्लेटफार्म जेम पॉटल पर बिड अपलोड कर दी गयी है। जिसका विवरण विड पर है। जेम पोर्टल पर बिड अपलोड करने की अन्तिम तिथि व निर्धारित समय दिया गया है।  जेम पोर्टल पर बिड की नियम एवं शर्ते अपलोड की गयी है। सेवा प्रदाता के पास विगत 3 वर्षों में शासकीय विभाग में समान श्रेणी के कार्मिकों की आपूर्ति के कार्य का अनुभव होना आवश्यक है। नियम एवं शर्तों का विवरण जनपद के बेवसाइट पर भी देखा जा सकता है। -(जनपद जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी) 

भारतीय आउटसोर्सिंग कर्मचारी संघ

भारतीय संविदा आउटसोर्सिंग कर्मचारी संघ उत्तर प्रदेश में प्रथम ऐसा पंजीकृत संगठन है जिसमें सभी सरकारी विभागों में समस्त पदों पर विभागीय संविदा एवं सेवा प्रदाता के माध्यम से कार्य कर रहे कार्मिकों को सदस्य के रूप में जोड़ता है। संघ में सभी विभागों के साथी जुड़कर अपने प्रदेश के लगभग 6 लाख संविदा कर्मियों की आवाज़ को उठा रहे हैं। संघ का मूल्य उद्देश्य आप सभी को एक साथ जोड़ कर अपने हकों की रक्षा करने के लिए संघर्ष करना है, आप सभी संगठन की सदस्या प्राप्त करके संगठन को मजबूत करें।

संघ के मूल उद्देश्यसम्पूर्ण प्रदेश में आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की संख्या- लगभग 10 लाख है। समस्त कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने का प्रयास। संविदा आउटसोर्सिंग संगठन को शासन एवं विभाग द्वारा मान्यता दिलाना। सरकार एवं कर्मचारियों के बीच सम्बन्ध स्थापित कर कर्मचारी हित साधने का प्रयास। विभिन्न विभागों में नियुक्त कार्मिकों के वेतन एवं अन्य कटौतियों के समय से भुगतान हेतु संबंधित विभाग एवं संविदाकारों से सम्पर्क स्थापित कर भुगतान कराना एवं अन्यथा की दशा में विभिन्न अधिनियमों द्वारा प्रदत्त शक्तियों का उपयोग कर सक्षम स्तर से निदान कराना। बिहार सरकार द्वारा संविदा कार्मिकों हेतु लागू सेवा नियमावली एवं मा. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर पंजाब सरकार, हरियाणा सरकार द्वारा लागू किये गये वेतनमान के अनुसार वेतन तय किया जाना। विभिन्न विभागों में योजना/परियोजना की संचालन अवधि समाप्त होने के बाद नई योजना की शुरूआत होने पर पुरानी योजनाओं में कार्यरत कर्मियों को नये कर्मियों की नियुक्ति के स्थान पर पुराने कर्मियों से सेवायें ली जायें। संविदा कार्मिकों को भी स्थायी पदों के तर्ज पर स्थायी पदनाम निर्धारित किये जायें ताकि भविष्य में नियमितीकरण, वेतन निर्धारित करने एवं अन्य कार्यवाही करने में सुगमता हो।

सरकार से आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के लिए सेवा नियमावली बनाने, पारदर्शी तरीके से विज्ञापन आदि निकाल कर नियुक्ति करने की मांग की है। वर्तमान बिहार सरकार द्वारा पूर्व मुख्य सचिव की अध्यक्षता में संविदा कर्मियों की सेवाओं के लिए एक कमेटी गठित की है। मा.सर्वोच्च न्यायालय ने भी बिना विज्ञापित नौकरियों को अवैध माना है। एसे मामले जिनका    समाधान सरकार और संविदाकार द्वारा नहीं किया जा रहा है उनके समाधान के लिए माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर समाधान कराने का प्रयास कराना। विभिन्न विभागों में एक ही पद पर एवं स्थायी पदों के समानान्तर पदों पर कार्य कर रहे कार्मिकों को समान पद समान वेतन लागू कराने हेतु संघर्ष। अन्य राज्य सरकारों द्वारा तय वेतन देने हेतु कमेटी की तर्ज पर यहां भी ऐसी कमेटी का गठन कराना। नियमित विभागीय कार्मिकों की भाॅति आउटसोर्सिंग कार्मिकों को भी सरकार के विभिन्न कार्यो यथा निर्वाचन ड्यूटी, सर्वेक्षण, जनगणना आदि का कार्य शुरू कराना। यात्रा भत्ता, आवासीय भत्ता आदि की सुविधा दिलाने का प्रयास। आउटसोर्सिंग कार्मिकों की नौकरी संविदाकार एवं अधिकारियों की मनमर्जी पर आधारित है इस समस्या का निदान कराना। संविदा कर्मियों को स्थायी कर्मचारियों की भाॅति अवकाश, बच्चों हेतु शैक्षिक सुविधा, मेडिकल सुविधा एवं अन्य सामाजिक सुविधाएं दिलाने हेतु संघर्ष करना। संविदा पर कार्यरत कार्मिकों को रखने हेतु विभागों में नियमानुसार पदों का सृजन कर उसके सापेक्ष नियुक्ति की जाय। सरकारी नियुक्तियों में आरक्षण प्रदान कराना।

प्रतिवर्ष संविदाकार को ना बदला जाय, अगर विभाग द्वारा संविदाकार को बदला जाय तो पूर्व से कार्यरत कार्मिकों की सेवायें अनवरत जारी रखी जाय। पुराने सेवा प्रदाता द्वारा नये सेवाप्रदाता को पूर्व से कार्य कर रहे कर्मियों की सूचना उपलब्ध करायें और संविदा वर्ष बदल जाने पर नया सेवाप्रदाता उनकी सेवा जारी रखें, क्योंकि नये संविदाकार द्वारा पूर्व से कार्यरत कार्मिकों जो लगातार कई वर्षो से कार्य कर रहे है उनको रजिस्ट्रेशन, टाईप टेस्ट आदि के नाम पर प्रताडित कर नौकरी से निकाल देते है अन्यथा धन उगाही करते है। कार्मिकों को सेवायोजन निदेशालय के माध्यम से नियुक्त किया जाना ताकि सरकार के पास कार्मिकों को देय रोजगार की पूर्ण सूचना हो, भ्रष्टाचार पर लगाम लगे एवं कार्मिकों का हित सुरक्षित हो। उ.प्र. सरकार द्वारा तय न्यूनतम वेतन को संशोधित कराना ताकि ग्रुप सी का न्यूनतम वेतन ₹18000 हजार एवं ग्रुप डी का वेतन ₹15000 हजार कराये जाने का प्रयास करना। संघ के स्थायी सदस्यों को दुर्घटना बीमा योजना का लाभ उपलब्ध कराना। प्रदेस, मंडल एवं जनपद स्तर पर संविदा कर्मियों की नियुक्ति एवं शिकायतों की जांच हेतु श्रम, वित्त, विभागीय अधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी का गठन हो एवं अपील की व्यवस्था कराना। किसी भी कार्मिक की शिकायत होने पर जांच हो एवं दोषी होने पर सेवा समाप्त ना करके अन्य प्रकार की सजा दी जाय। अन्य मुद्दे जो कार्मिकों के हितों से संबंधित हों, को कार्मिकों द्वारा संघ को उपलब्ध कराने पर सम्यक् विचारोपरान्त उनका समाधान कराने का प्रयास।

प्रदेश सरकार के तजा फैसले

प्रदेश सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले संविदा व आउटसोर्सिंग पर कार्यरत कार्मिकों का हिसाब-किताब जुटाना शुरू कर दिया है। आने वाले दिनों में इनके संबंध में कुछ सकारात्मक निर्णय हो सकते हैं। शासन ने योगी शासनकाल में रखे गए संविदा व आउटसोर्सिंग कार्मिकों का समूहवार ब्योरा तलब किया है।

प्रदेश में संविदा व आउटसोर्सिंग पर कार्यरत कार्मिकों को तमाम तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। सामान्य आरोप है कि शासन स्तर से तमाम तरह के दिशानिर्देश जारी किए जाने के बावजूद इनकी मुश्किलें कम नहीं हो पा रही हैं। आउटसोर्सिंग में नियुक्ति के समय पांच से छह महीने के वेतन के बराबर एडवांस रकम की वसूली, नवीनीकरण में पुराने को हटाकर नए को रखने के अलावा समय से मानदेय भुगतान न किए जाने के आरोप कार्मिक लगाते रहते हैं। कार्मिक अलग-अलग स्तर पर अपनी समस्याओं के समाधान के लिए आंदोलन व मांग करते आ रहे हैं।

मंगलवार को विशेष सचिव कार्मिक संजय कुमार सिंह ने समस्त विभागों से वर्ष 2017 से अब तक समूह ‘क’, ‘ख’, ‘ग’ व ‘घ’ के पद पर संविदा व आउटसोर्सिंग के माध्यम से रखे गए कार्मिकों की सूचना तलब की। उन्होंने शासन के समस्त अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों व सचिवों से संविदा व आउटसोर्सिंग पर रखे कार्मिकों की अलग-अलग समूह वार संख्या बताने का आग्रह किया है। उन्होंने अफसरों को यह विशेष रूप से बताया है कि प्रकरण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेशों से जुड़ा हुआ है, लिहाजा इसे शीर्ष प्राथमिकता पर लिया जाए। 

सरकारी फैसलों की सच्चाई पर 'जन चौक' की रिपोर्ट

हाल में प्रमुख समाचारों में योगी सरकार द्वारा दिये गए विज्ञापनों 4.5 लाख सरकारी नौकरी (नियमित) 4.5 साल के कार्यकाल में देने का दावा किया गया है। 4.5 लाख सरकारी नौकरी के इस दावे के चंद रोज पहले तक दिल्ली समेत देश भर में बड़े-बड़े होल्डिंग लगाये जा रहे थे जिसमें 4 लाख सरकारी नौकरी का प्रचार देखा जा सकता है। इन चंद दिनों के अंतराल में 50 हजार नौकरी प्रचार में जुड़ गई। जबकि 69,000 शिक्षक भर्ती में शेष बचे 6 हजार पदों पर नियुक्ति के अलावा और कोई नियुक्ति पत्र भी इस अवधि में नहीं दिया गया। इसके पूर्व अमर उजाला के लखनऊ संस्करण में 24 जुलाई 2021 को प्रकाशित सरकारी आंकड़ों के अनुसार 3.44 लाख नियमित नौकरी, 45,546 संविदा और 27,3657 आउटसोर्सिंग में नौकरी का दावा किया गया था। इसी समाचार में 74 हजार पदों पर कार्यवाही तेज होने का दावा किया गया वास्तव में जिसका अस्तित्व ही नहीं है।

3.44 लाख सरकारी नौकरी देने के आंकड़े का विश्लेषण करने के पहले यह समझना जरूरी है कि योगी सरकार के सत्तारूढ़ होने के वक्त कर्मचारियों व शिक्षकों की तादाद में कितनी बढ़ोतरी हुई है और आज प्रदेश में रिक्त पदों का बैकलॉग कितना है और इन सालों में कितने पदों को खत्म कर दिया गया है। सबसे पहले योगी सरकार ने चतुर्थ श्रेणी के तकरीबन 3.5 लाख स्वीकृत पदों को खत्म कर दिया गया। इसके अलावा प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्य के पदों समेत हजारों पदों व विभागों को अनुपयोगी बताते खत्म किया जा चुका है। इन खत्म किये गए पदों के बावजूद प्रदेश में अभी भी कर्मचारी-शिक्षकों के तकरीबन 21 लाख स्वीकृत पदों में से 5 लाख से ज्यादा पद रिक्त पड़े हुए हैं। इन सभी रिक्त पदों को भरने का वादा भाजपा ने अपने मैनीफेस्टो में किया था। अगर अखबार में प्रकाशित 3.44 लाख सरकारी नौकरी के अधिकृत आंकड़े को सही मान लिया जाये तो भी इसमें 1.37 लाख शिक्षक पद शामिल हैं जो पहले से ही सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत थे और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बर्खास्तगी के उपरांत रिक्त हुए पदों भरने का आदेश था, इसमें नया रोजगार सृजन नहीं हुआ बल्कि जो पद योगी सरकार के कार्यकाल में खत्म हुए उन्हें ही भरा गया। इसके अलावा भी जो भर्तियां संपन्न हुई हैं उसमें 2018 में विज्ञापित पुलिस भर्ती के तकरीबन 90 हजार पदों को छोड़कर ज्यादातर भर्तियां पिछली सरकार द्वारा विज्ञापित की गई थीं। दरअसल योगी सरकार ने बैकलॉग को नहीं भरा है और जो रूटीन भर्ती की है उतने पद रिटायरमेंट व 1.37 लाख शिक्षकों की बर्खास्तगी से रिक्त हुए पद़ो के तकरीबन बराबर हैं। यही वजह है कि तमाम प्रमुख विभागों में 30-70 फीसद तक पद रिक्त हैं।

आउटसोर्सिंग में 2.73 लाख पदों पर भर्ती करने की बात है, यह सरासर झूठ है। आउटसोर्सिंग कंपनियों में किसी तरह की नयी भर्ती नहीं हुई है। ऐसी कहीं से रिपोर्ट नहीं है कि आउटसोर्सिंग कंपनियों ने कोई नया काम शुरू किया हो। संविदा के तहत रखे गए मजदूर जो पहले संविदाकार के अंतर्गत नियोजित थे, अब उन्हीं का नियोजन आउटसोर्सिंग कंपनियों के तहत है।

इसी तरह 74 हजार पदों पर कार्यवाही तेज होने की जो बयानबाजी व प्रोपेगैंडा है वह तो वास्तव में अस्तित्व में ही नहीं है। इसमें अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से 22 हजार (पहले 30 हजार का बयान था), माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड से 27 हजार व उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग से 17 हजार का विज्ञापन का प्रस्ताव मात्र है, इसी तरह के प्रस्ताव 52 हजार पुलिस भर्ती, 97 हजार प्राथमिक शिक्षक भर्ती, तकनीकी शिक्षण संस्थानों से लेकर तमाम भर्तियों के अरसे से लंबित हैं। प्रदेश में स्थिति यह है कि 5-10 साल पुरानी भर्तियां अधर में हैं। जितने पदों को विज्ञापित किया गया है उन्हें भी भरा नहीं जा रहा है। यहां तक कि बीपीएड के 32 हजार, यूपीपीसीएल में तकनीशियन के विज्ञापन को ही रद्द कर दिया गया। इसी तरह कोरोना काल में 181 वूमेन हेल्पलाइन, महिला सामाख्या आदि सेवाओं को खत्म कर महिलाओं व अन्य लोगों का रोजगार छीनने का काम किया गया।

सरकारी नौकरी, करोड़ों रोजगार सृजन और विकास के दावों और आंकडों का पर्दाफाश करने के लिए युवा मंच अभियान संचालित कर रहा है, जिससे प्रदेश में बेकारी के गहराते संकट और इसकी भयावहता को जनता के समक्ष लाया जा सके। इसी क्रम में युवा मंच ने 5 लाख रिक्त पदों को भरने, हर युवा को गरिमापूर्ण रोजगार की गारंटी और रोजगार न मिलने तक बेरोजगारी भत्ता देने के सवाल पर ईको गार्डेन, लखनऊ में 09 अगस्त से बेमियादी धरना प्रदर्शन शुरू करने का निर्णय लिया है। युवा मंच (उत्तर प्रदेश) द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित

आउट सोर्सिंग पर तैनात 10 हजार हेल्थ वर्कर 

राजधानी लखनऊ के मेडिकल संस्थानों में आउट सोर्सिंग पर तैनात 10 हजार हेल्थ वर्कर ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पोस्टकार्ड लिखे। कर्मचारियों ने वेतन विसंगति दूर करने की मांग की। पक्की नौकरी के लिए सरकार से गुजारिश की है। साथ ही प्रदेश में आउटसोर्सिंग व्यवस्था बंद करने की मांग की।

गांधी जयंती पर लोहिया संस्थान, केजीएमयू और पीजीआई के 10 हजार आउटसोर्सिंग कर्मचारियों ने व्यक्तिगत तौर पर मुख्यमंत्री को पोस्टकार्ड लिखे। संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग-संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष रितेश मल ने कहा कि प्रदेश भर के एक लाख कर्मियों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के वेतन में करीब 52 फीसदी की कटौती विभिन्न मदों में की जा रही है।

नतीजतन वेतन बहुत कम हो जाता है। यदि विभागीय संविदा पर रखा जाए तो यही सारा पैसा कर्मचारियों को सीधे विभाग से मिलेगा। बिचौलियों का खेल खत्म हो जाएगा। इससे सरकार पर कोई अतिरिक्त वित्तीय भार भी नहीं बढ़ेगा। 

ईपीएफ की रसीद नहीं दे रहे

महामंत्री सच्चितानंद ने कहा कि हर साल बड़े पैमाने पर कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया जाता है। समय पर तनख्वाह नहीं देते। ईपीएफ और ईएसआई की कटौती की रसीद तक नहीं दी जाती है। कोरोना महामारी में कर्मचारी अपना जान जोखिम में डालकर मरीजों की सेवा कर रहे हैं। इसके बदले बोनस भत्ता या वेतन बढ़ोतरी का लाभ नहीं दिया गया है।

मुख्य मांगें-

1. प्रदेश में आउटसोर्सिंग व्यवस्था बंद की जाए-

2. कार्यरत कर्मचारियों को विभागीय संविदा पर समायोजित किया जाए-

3. समान कार्य समान वेतन-

4. मेडिकल कॉलेजों व अस्पतालों में कार्यरत कर्मचारियों को न्यूनतम मासिक वेतन ₹16000 दिया जाए-

5. होम्योपैथिक चिकित्सालयों के कर्मचारियों का बकाया भुगतान हो-

6. लोहिया, पीजीआई व केजीएमयू के कर्मचारियों को एनएचएम के बराबर वेतनमान दिए जाए-

7. वेतन समिति की नौ अगस्त 2018 की रिपोर्ट लागू की जाए।

आउटसोर्सिंग जैसी निम्न आय की नौकरियों में जाना मजबूरी

एक ग्रामीण सर्वेक्षण (Situation Assisment Survey) एसएएस का अनुमान है कि ग्रामीण भारत में 9.31 करोड़ कृषि तथा 7.93 करोड़ गैर-कृषि परिवार हैं। एक कृषि परिवार जो औसतन रु4,000 बागवानी, फसलों, पशुधन या अन्य निर्दिष्ट कृषि उत्पादन को बेच कर कमाता है, वह सर्वेक्षण से पहले 365 दिनों कृषि में स्व-नियोजित के रूप में था। इसका मतलब यह है कि भारत की लगभग आधी ग्रामीण आबादी के पास कृषि में न्यूनतम आर्थिक हिस्सेदारी भी नहीं है, जो कि एक किसान  परिवार के रूप में योग्य होने के लिए आवश्यक है। लगभग 99% गैर-कृषि परिवारों के पास एक हेक्टेयर से भी कम भूमि है और उनमें से लगभग आधे के लिए आय का प्रमुख स्रोत आकस्मिक मजदूरी है। पांच गैर-कृषि परिवारों में से लगभग एक वेतनभोगी है। वेतनभोगी परिवार का आर्थिक स्तर दूसरों से बेहतर है जो बिना किसी झंझट के भारत में सबसे अधिक भुगतान देने वाला काम है। इसी लिए अधिकतर किसान और ग्रामीण परिवार पढ़ाई -लिखाई पर अधिक जोर दे रहे हैं की किसी तरह परिवार में एक नौकरी पेशा बन जाय ताकि परिवार के जीवन स्तर में सुधार हो जाय।

खेती के घटते महत्व को समझने के लिए इसका वर्ष 2012-13 का डाटा देखा जा सकता है जिसमें खेती से होने वाली आय का हिस्सा 48% था और मजदूरी से आय का हिस्सा 32%था। इस तरह पहले भी किसानों की आय का एक बड़ा हिस्सा कृषि आय नहीं थी, यह पहला उदाहरण है जहां खेती भारत के कृषि परिवारों के लिए आय का सबसे बड़ा स्रोत भी नहीं है। मनरेगा के तहत 28 राज्यों में से 23 राज्यों में संभावित कमाई संख्या एसएएस में दी गई प्रति कृषि परिवार की कृषि फसलों से प्राप्त औसत वार्षिक आय से अधिक है।  अखिल भारतीय स्तर पर, प्रति कृषि परिवार खेती से औसत वार्षिक आय 365 दिनों में संभावित मनरेगा मजदूरी से 0.7 गुना है। इस तुलना में खेती के अलावा अन्य स्रोतों से होने वाली आय शामिल नहीं है। अधिकतर किसानों का मानना है खेती एक लाभकारी गतिविधि के बजाय एक आर्थिक बोझ बनती जा रही है। खेती से प्रति व्यक्ति ₹227 की दैनिक कमाई ने एक किसान परिवार को पुरानी गरीबी रेखा के पास लाकर खड़ा कर दिया है, यह किसान की सहनशीलता का नतीजा है। यह एक ऐसी सरकार के कार्यकाल के दौरान हुआ है जो अपने को किसानों और ओबीसी की हितैसी कहती है जिसने कृषि आय को दोगुना करने का वादा किया था खेती में इससे बड़ा आर्थिक संकट और क्या होगा?

आउटसोर्सिंग से अच्छी है विदेश में सब्जी तोड़ने की मजदूरी

सितंबर 29, 2021 को योगेश मिश्र, नवभारत टाइम्स में लिखते हैं कि लंदन ब्रिटेन की एक फर्म कर्मचारियों की भारी कमी से जूझ रही है। इस कमी को दूर करने के लिए बड़े पैमाने पर भर्तियां जारी की गई हैं। फर्म अपने कर्मचारियों को सालाना 62 हजार पाउंड यानी 63 लाख रुपए ऑफर कर रही है। कंपनी को खेत से बंदगोभी तोड़ने और ब्रोकली की कटाई करने वालों की तलाश है। नौकरी मिलने पर उम्मीदवारों को 30 पाउंड प्रति घंटा भुगतान किया जाएगा। कंपनी ने कहा कि यह एक फुल टर्म जॉब है और कर्मचारियों का वेतन इस बात पर निर्भर करेगा कि वह कितनी सब्जियां चुनते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि फल और सब्जी उद्योग में इतना वेतन असामान्य है।

 

विस्तृत जानकारी के लिए संलग्न परिशिष्टियों के आंकड़ों का अवलोकन कर सकते हैं।

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परिशिष्ट भाग

परिशिष्ट 1: 2021-22 के बजट में आउट सोर्सिंग सेवाओं पर होंने वाला राजस्व व्यय

क्रम

विभाग का नाम

(₹ लाख)

क्रम

विभाग का नाम

(₹ लाख)

1

आबकारी विभाग           

85

41

पर्यटन विभाग

11

2

आवास विभाग             

23.99

42

पर्यावरण विभाग

3.5

3

लघु उद्योग विभाग                   

59

43

प्रशासनिक सुधार विभाग

310

4

खानें और खनिज विभाग        

120

44

प्राविधिक शिक्षा विभाग

1807.77

5

खादी ग्रामोद्योग विभाग            

1

45

अल्पसख्यक कल्याण विभाग

483

6

हथकरघा विभाग                     

5

46

महिला एवं बाल कल्याण विभाग

4767.5

7

भारी एवं मध्यम उद्योग विभाग

128.3

47

राजस्व जिला प्रशासन विभाग

160.1

8

मुद्रण एवं लेखन उद्योग विभाग   

4.25

48

राजस्व परिषद विभाग

104.5

9

ऊर्जा विभाग विभाग            

40

49

लोक निर्माण अधिष्ठान विभाग

1443

10

कृषि संबद्ध विभाग       

368.01

50

लोक निर्माण संपत्ति विभाग

1958

11

कृषि संबद्ध विभाग   

12487.08

51

वन विभाग

561.9

12

ग्राम्य विकास विभाग                 

75

52

वित्त- विभाग

14.5

13

पंचायती राज विभाग              

141.5

53

वित्त- कोषागार विभाग

465

14

पशुधन विभाग                

3229.48

54

वित्त- लेखापरीक्षण विभाग

495

15

दुग्धशाला विकास           

7.5

55

वित्त- सामूहिक बीमा विभाग

10

16

मत्स्य पालन विभाग                  

15

56

विधान परिषद सचिवालय विभाग

85

17

सहकारिता विभाग                   

229

57

विधान सभा सचिवालय विभाग

350

18

कार्मिक लोक सेवा विभाग           

30

58

व्यावसायिक शिक्षा विभाग

1248.5

19

खाद्य एवं रसद विभाग           

229

59

प्राथमिक शिक्षा विभाग

22

20

खेल विभाग विभाग                   

70

60

माध्यमिक शिक्षा विभाग

530

21

गन्ना विकास विभाग                   

10

61

उच्च शिक्षा विभाग

116.5

22

गृह- जेल विभाग                       

19

62

होमगार्ड्स विभाग (होमगार्ड्स को मजदूरी)

142500

23

गृह- पुलिस विभाग                

3327

63

शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण विभाग

120.3

24

गृह- नागरिक सुरक्षा विभाग        

65

64

श्रम कल्याण विभाग

159.06

25

गृह- राजनीतिक पेंसंन विभाग       

73

65

श्रम सेवायोजन विभाग

7

26

गोपन- राज्यपाल सचिवालय विभाग

75

66

सचिवालय प्रशासन विभाग

902

27

गोपन- अभिसूचना निदेशालय विभाग

2

67

विकलांग एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग

1010.85

28

चिकित्सा- शिक्षा विभाग            

8501.38

68

अनुसूचित जाति कल्याण विभाग

1030.5

29

चिकित्सा- एलोपैथिक विभाग 

1627.04

69

अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग

198.51

30

चिकित्सा- आयुर्वेदिक विभाग       

523.61

70

सतर्कता विभाग विभाग

15

31

चिकित्सा- होम्योपैथिक विभाग    

1585.01

71

अनु.जातियों हेतु घटक योजनाएं विभाग

118467.3

32

स्वास्थ्य- परिवार कल्याण विभाग       

109.5

72

सार्वजनिक उद्यम विभाग

11

33

चिकित्सा- सार्वजनिक स्वास्थ विभाग

552.01

73

सूचना विभाग विभाग

300

34

नगर विकास विभाग                 

29.39

74

सैनिक कल्याण विभाग

230

35

नागरिक उड्डयन विभाग                 

36

75

राज्य कर विभाग

1815.3

36

भाषा विभाग                   

1

76

स्टांप निबंधन विभाग

128.75

37

नियोजन विभाग

111

77

संस्कृति विभाग

13

38

निर्वाचन विभाग

1525

78

नमामि गंगे विभाग

100

39

न्याय विभाग

484.6

79

सिंचाई अधिष्ठान विभाग

2540

40

परिवहन विभाग

1102

उपरोक्त 79 विभागों का कुल अनुमानित व्यय

321602

स्रोत: यूपी बजट 2021-22 में उपलब्ध विभागवार कॉन्ट्रैक्ट कर्मियों पर किये जाने वाला व्यय।

 परिशिष्ट 2: प्रपत्र ख-7: 31 मार्च 2020 को उत्तर प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों का विवरण  

क्रमांक

विभाग

श्रेणीवार स्वीकृत पदों की संख्या

राजपत्रित

अराजपत्रित

योग

'क'

'ख'

'ग'

'घ'

1

2

3

4

5

6

7

1

आबकारी

47

992

3776

174

4989

2

अल्प संख्यक कल्याण एवं वक्फ

20

303

217

149

689

3

अतिरिक्त उर्जा

7

68

290

180

545

4

औद्योगिक विकास

16

27

3743

722

4508

5

आवास एवं शहरी नियोजन

45

146

1776

6209

8176

6

भाषा

0

70

38

17

125

7

भूतत्व एवं खनिकर्म

31

80

538

295

944

8

चीनी

29

86

5313

483

5911

9

चिकित्सा

9679

13427

95358

23665

142129

10

दुग्ध विकास

16

46

501

127

690

11

गोपन

32

30

93

129

284

12

ग्राम्य विकास

451

997

18975

4021

24444

13

गृह

2410

1474

336934

115978

456796

14

नागरिक सुरक्षा

3

16

352

144

515

15

हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग

6

34

567

75

682

16

होमगार्ड

30

147

1880

1385

3442

17

कारागार प्रशासन एवं सुधार

181

690

9932

637

11440

18

कार्मिक

74

71

531

269

945

19

खाद्य एवं रसद

335

1050

5358

3879

10622

20

खाद्य सुरक्षा एवं औषधि

66

957

531

306

1860

21

खादी एवं ग्रामोद्योग

33

124

1071

438

1666

22

खेलकूद

6

21

465

269

761

23

कृषि विपणन एवं विदेश व्यापार

2

11

509

189

711

24

कृषि

185

2264

19760

5753

27962

25

लघु सिंचाई

75

203

5298

1237

6813

26

ग्रामीण अभियन्त्रण

105

290

3657

805

4857

27

लोक निर्माण

565

1410

14638

36552

53165

28

महिला एवं बाल विकास

12

1182

9705

1006

11905

29

मत्स्य

21

77

1222

791

2111

30

नगर विकास

4

19

67

19

109

31

नागरिक उड्डयन

7

1

122

16

146

32

निर्वाचन

13

16

466

224

719

33

नियोजन

137

1036

2094

452

3719

34

नियुक्ति

635

0

0

0

635

35

न्याय

783

2378

1489

2006

6656

36

पंचायती राज

45

145

10043

109252

119485

37

परिवहन

129

426

2285

534

3374

38

पर्यटन

12

27

216

94

349

39

पर्यावरण

7

8

33

13

61

40

पशुधन

643

2124

6669

6998

16434

41

पिछड़ा वर्ग कल्याण

21

89

304

71

485

42

प्रशासनिक सुधार

20

29

158

74

281

43

राजस्व

152

1624

68503

24464

94743

44

राजनैतिक पेंशन

1

9

9

12

31

45

राज्य सम्पत्ति

10

45

590

869

1514

46

रेशम विकास

7

32

305

206

550

47

सचिवालय प्रशासन

552

3698

1726

1165

7141

48

सहकारिता

64

606

2445

452

3567

49

सैनिक कल्याण

80

2

401

235

718

50

समाज कल्याण

63

312

5606

1082

7063

51

समन्वय

63

44

75

52

234

52

संस्कृति

17

48

224

304

593

53

सार्वजनिक उद्यम

8

10

52

18

88

54

सतर्कता

33

92

641

101

867

55

शिक्षा

220

1656

11073

8337

21286

56

प्राविधिक शिक्षा

633

3387

2848

2717

9585

57

उच्च शिक्षा

3176

28

1191

1298

5693

58

चिकित्सा शिक्षा

1376

6082

6060

8304

21822

59

श्रम

193

1253

3989

3175

8610

60

सिंचाई

1075

2389

58249

17426

79139

61

स्टाम्प एवं निबन्धन

28

476

1334

454

2292

62

सूचना

29

148

765

487

1429

63

सूक्ष्म एवं लघु उद्योग

108

379

2024

696

3207

64

खाद्य तथा रसद

49

168

1972

2634

4823

65

उर्जा

20

44

327

162

553

66

वन

199

1083

8991

3348

13621

67

वाणिज्यिक कर

837

2500

9882

4483

17702

68

विधान परिषद

36

42

152

75

305

69

विधान सभा

61

352

145

162

720

70

दिव्यांग सशक्तीकरण

286

115

1187

254

1842

71

वित्त

248

960

7051

1507

9766

72

व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास

79

269

10904

2271

13523

73

युवा कल्याण

11

79

1000

118

1208

योग

26652

60523

776695

412505

1276375

                       

 

परिशिष्ट 3: प्रपत्र ख -7 का संलग्नक उत्तर प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के वेतन और भत्तों पर व्यय का विवरण

मानक मद 

वास्तविक आंकड़े 2019-20

(₹ लाख)

वेतन

4012554.14

महगाई भत्ता

648166.72

अन्य भत्ते

90758.26

महगाई वेतन 

1.01

पुनरीक्षित वेतन का अवशेष

271840.72

माकन किराया भत्ता

150568.17

नगर प्रतिकार भत्ता

18374.67

प्रेक्टिस बंदी भत्ता

25158.57

कुल योग

5217422.26

 

 परिशिष्ट 4: प्रदेश की प्रति व्यक्ति वार्षिक आय (₹)

राज्य

2011-12

2014-15

2015-16

2016-17

2017-18

2018-19

1

2

3

4

5

6

7

1- आंध्र प्रदेश

69000

93903

108002

124401

143935

164025

2- आसम

41142

52895

60817

66430

74204

--

3- बिहार

21750

28671

30404

34156

38631

43822

4- गुजरात

87481

127017

139254

155149

174652

--

5- हरियाणा

106085

147382

164868

183171

203340

226644

6- हिमाचल प्रदेश

87721

123299

135512

150290

167044

179188

7- कर्नाटक

90263

130024

148108

170133

187649

210887

8- केरल

97912

135537

148133

167632

184000

--

9- मध्य प्रदेश

38551

56069

62616

74787

82941

90998

10- महाराष्ट्र

99564

132476

146258

162005

176102

--

11- ओडिशा

48370

63169

64595

77311

84854

93352

12- पंजाब

85577

108970

118858

128780

142644

154598

13- राजस्थान

57192

76429

83427

91654

99487

109105

14- तमिलनाडु

92984

128372

140441

154272

171583

193750

15- उत्तर प्रदेश

32002

42267

47062

50942

55456

61351

16- पश्चिम बंगाली

51543

68876

75992

82291

93711

109491

भारत

63462

86647

94797

104659

114958

126406

Source: CSO


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