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मधुमेह और रक्तचाप में स्वयं देखभाल -डॉ आर सी व्यास

मधुमेह और रक्तचाप में स्वयं देखभाल

डायबिटीज या मधुमेह क्या है?  डायबिटीज या मधुमेह उपापचय संबंधी विकृति का रोग है जिसमे रक्त में शर्करा की मात्रा बहुत बढ़ जाती है, क्योंकि या तो शरीर में रक्त शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करने वाले इंसुलिन नामक हार्मोन का निर्माण बंद हो जाता है या इंसुलिन हार्मोन अपने कार्य को ठीक से नहीं कर पाता है।

मधुमेह के प्रकार

टाइप-1 मधुमेह: टाइप-1 मधुमेह में शरीर का स्व-प्रतिरक्षित तंत्र शरीर के घावों का जल्दी न भरना (आटो-इम्यून सिस्टम) अग्नाशय की कोशिकाओं को नष्ट कर देता है। जिसके फलस्वरूप शरीर में इंसुलिन बनना लगभग बंद हो जाता है। अतः इसके उपचार के लिये इंसुलिन ही देना पड़ता है। टाइप 1 मधुमेह आमतौर पर बच्चों और किशोरों में होता है।

टाइप 2 मधुमेह: टाइप-2 मधुमेह बहुत ही सामान्य हो गयी है। यह अधिकतम 40 वर्ष की उम्र के बाद होती है, लेकिन भारतीयों में यह बीमारी कम उम्र में भी होने लगी है। टाइप-2 मधुमेह में या तो पेनक्रियाज इंसुलिन पर्याप्त मात्रा में स्रावित नहीं करता है या शरीर में इंसुलिन ठीक प्रकार कार्य नहीं कर पाता है। जिसके अधिक मोटापे से बचें फलस्वरूप ग्लूकोज कोशिकाओं में प्रवेश नहीं कर जाता है और रक्त में इसकी मात्रा बढ़ने लगती है। इसे इंसुलिन प्रतिरोग (Resistance) भी कहते हैं।

गर्भावधि मधुमेह: कुछ स्त्रियों की गर्भावस्था में रक्त शर्करा बढ़ जाती है, जिसे गर्भावधि मधुमेह (जेस्टेशनल डायबिटीज) कहते है। यह केवल गर्भावस्था में होती है और शिशु के जन्म के बाद प्रसूता की रक्त शर्करा सामान्य हो जाती है। लेकिन इन्हें बाद में टाइप-2 डायबिटीज होने की संभावना रहती है।

कुछ लोगों की रक्त शर्करा सामान्य से ज्यादा होती है, लेकिन इतनी भी नहीं कि इसे प्री-डायविटीज परिभाषित किया जाये। इसे फ्री डायबिटीज या इम्पेयर्ड ग्लूकोज टॉलरेंस कहते है। मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिये आवश्यक है कि वे अपनी जीवन शैली को सुधारें, नियमित व्यायाम करें और वजन घटायें ताकि मधुमेह के विकराल स्वरूप से बचा जा सकें।

मधुमेह के मुख्य लक्षण:  थकान महसूस होना, बार-बार पेशाब लगना, अत्यधिक प्यास लगना, आँखों का कमजोर होना, शरीर का वजन अचानक कम होना, बार-बार भूख लगना, शरीर के घावों का जल्दी नहीं भरना, त्वचा के रोग होना, लगातार तबियत ख़राब रहना, पैरों के तलवों में जलन एवं सुई जैसा चुभना।

मधुमेह से बचने के उपाय:

  • धूम्रपान न करें एवं शराब का सेवन न करें, पर्याप्त नींद लें, तनाव से मुक्त रहें, नियमित स्वास्थ्य जांच कराये, नियमित व्यायाम / योग करें
  • अपने रक्त में शर्करा के स्तर की जांच करें, मीठी चीजों का सेवन न करें भोजन कम करें, रेशे युक्त भोजन, द्रव्य, जौ, चने, गेहूं, बाजरे की रोटी, हरी सब्जी एवं दही का प्रचुर मात्रा में सेवन करें। चना और गेहूं मिलाकर उसके आटे की रोटी खाना बेहतर है।
  • मधुमेह के रोगियों के पैरों की देखभाल: मधुमेह के रोगियों के लिये अपने पैरों की देखभाल करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि चोट लगने या पाव होने से तुरंत संक्रमण होने की संभावना बनी रहती है। अतः मधुमेह के रोगियों को निम्नलिखित नियमों का पालन अवश्य करना चाहिये।
  • पैरों की स्वच्छता का सदैव ध्यान रखना चाहिये। पैरों में कहीं चोट न लगे इसका ध्यान रखना चाहिये।
  • दिन में दो-तीन बार गुनगुने पानी से पैरों को धोकर मुलायम कपड़े से पोछना चाहिये। पैरों की अंगुलियों के बीच की कोमल त्वचा संक्रमण की शीघ्र शिकार हो जाती है इसलिये वहां पर तेल लगाकर रखना चाहिये।
  • मधुमेह के रोगियों को नंगे पैर न चलकर रबर की चप्पल या मुलायम जूतों का प्रयोग करें।
  • नायलॉन से बने हुए मोजे न पहन कर सूती मोजे पहनना अच्छा होता है क्योंकि ये रक्त प्रवाह में बाधक नहीं होते हैं।
  • नाखून काटते समय भी ऐसे रोगियों को सावधानी रखनी चाहिये। हाथों और पैरों को थोड़ी देर तक गुनगुने पानी डुबोकर रखने के पश्चात नाखून काटना चाहिये। क्योंकि तब तक ये मुलायन हो जाते है।
  • प्रतिदिन 10 मिनट के लिए पैरों को ऊँचाई पर रखकर पैरों की कसरत करना मधुमेह के रोगियों के लिये लाभदायक है। इससे पैरों का रक्त संचार बढ़ता है।
  • पैरों में गोखरू के हो जाने पर स्वयं ब्लेड से उसे काटने से मधुमेह के रोगी के लिये ऐसा घातक हो सकता है।
  • रक्त में शर्करा को नियंत्रित रखें। मधुमेह से पीड़ित किसी प्रकार के घाव जो जल्दी ठीक न हो रहा हो तो अपने निकट के अस्पताल में या जिला अस्पताल में तुरंत दिखाना चाहिये।

रक्त चाप का कारण, लक्षण और उपचार

उच्च रक्तचाप जिसे Hypertension या सामान्य भाषा में हम BP कहते हैं, एक जानलेवा बीमारी है। उच्च रक्तचाप एक शांत ज्वालामुखी की तरह है जिसमें ऊपर से कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं पर यह ज्वालामुखी फटने के बाद शरीर पर लकवा Heart Attack जैसे गंभीर परिणाम हो सकते हैं। उच्च रक्तचाप संबंधी अधिक जानकारी नीचे दी गयी है :

रक्तचाप / Blood Pressure (BP) किसे कहते हैं? हृदय शरीर के सभी अंगों को नलिकाओं के द्वारा रक्त को पहुँचाने का कार्य करता है। इसी रक्त प्रवाह को रक्तचाप या Blood Pressure कहते हैं। रक्तचाप से आपके पूरे शरीर में रक्त संचार में सहायता मिलती है।

सामान्य रक्तचाप क्या है? रक्तचाप को एक उपकरण जिसे Sphygmomanometer कहते हैं, द्वारा मापा जाता है। एक सेहतमंद आदमी के लिए रक्तचाप, सिकुड़ने के समय / Systolic Blood Pressure 120 mmhg होता है और आराम की स्थिति में/Diastolic Blood Pressure winter 80 mmhg होता है। इसे आमतौर पर 120/80 mmhg लिखा जाता है।

उच्च रक्तचाप / Hypertension किसे कहते हैं? जब आपका Systolic Blood Pressure 140 mmhg या इससे ऊपर और Diastolic Blood Pressure 90 mmhg या उससे ऊपर हो जाता है, तब उसे उच्च रक्तचाप /Hypertension कहते हैं। प्रत्येक व्यक्ति का रक्तचाप प्रतिदिन और प्रति घंटे बदलते रहता है। आत शोक

ज्यादा काम करने, भय, चिंता, शोक, क्रोध, व्यायाम इत्यादि अवस्था में रक्तचाप कुछ समय के लिए बढ़ जाता है। इसलिए अगर किसी व्यक्ति का रक्तचाप, सामान्य स्थिति में नियमित रूप से ज्यादा आता है तब डॉक्टर उसे उच्च रक्तचाप/ Hypertension कहते हैं। उच्च रक्तचाप /Hypertension का निदान तब तक नहीं किया जाता है तब तक आपके रक्तचाप की कई बार जांच न की जाए और वह उच्च न बना रहे। उच्च रक्तचाप/Hypertension के क्या लक्षण हैं?

जब आपको उच्च रक्तचाप/ Hypertension है इस बात को जानने का एक ही तरीका है इसकी जांच करवाई जाए। उच्च रक्तचाप का अधिकांश लोगों में कोई खास लक्षण नहीं होता है। कुछ लोगों में बहुत ज्यादा रक्तचाप बढ़ जाने पर सरदर्द होना या धुंधला दिखाई देना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इसलिए जरूरी है कि 30 वर्ष की आयु के बाद और अगर आपका वजन ज्यादा है या आपके परिवार में किसी की उच्च रक्तचाप है तो 20 वर्ष आयु के बाद साल में कम से कम एक बार अपने रक्तचाप की जांच डॉक्टर से करवाएं। उच्च रक्तचाप / Hypertension के क्या दुष्प्रभाव है?

उच्च रक्तचाप / Hypertension के कई दुष्प्रभाव हैं। आपके रक्त के लिए आपकी रक्त वाहिकाओं में प्रवाहित होना जितना कठिन होगा, आपके रक्तचाप की संख्या उतनी ही उच्च होगी। आपको हृदय को उच्च रक्तचाप के कारण सामान्य से अधिक काम करना पड़ता है। उच्च रक्तचाप के कारण दिल का दौरा (Heart Attack) रक्त और, गुर्दे का काम न करना (Kidney Failure) रक्त वाहिनियों का कठोर होने जैसे गंभीर रोग हो सकते हैं।

उच्च रक्तचाप / Hypertension पर नियंत्रण पाने के लिए क्या करें? उच्च रक्तचाप / Hypertension पर नियंत्रण पाने के लिए निम्नलिखित सलाह का पालन करें। डॉक्टर के निर्देश के अनुसार रक्तचाप की दवा नियमित रूप से लें। डाक्टरी जांच समय पर करवाएं। अपना अतिरिक्त वजन घटाएं। नियमित रूप से डॉक्टर की सलाह के अनुसार व्यायाम करें। अपने खाने में योग्य बदलाव लायें। जीवनदायी खाद्य पदार्थों को अधिक लें। अनाज जैसे गेहूं, चावल, रागी, मकई, अंकुरित दालें, मछली, साग-सब्जी एवं ताजे फल आदि को अपने आहार में समावेश करें। वनस्पति तेल जैसे सूरजमुखी तेल या सोयाबीन तेल का इस्तेमाल करें। हमेशा ताजी हरी सब्जियों का इस्तेमाल करें। Potassium की अधिक मात्रा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें। केला, संतरा, आलू, कोमल नारियल का पानी जैसे खाने की चीजों में Potassium अधिक होता है। यह रक्तचाप घटाने में मदद करता है। अपना रहन-सहन में बदलाव करें तनाव मुक्त रहें। योग, प्राणायाम, ध्यान करें। नियमित व्यायाम करें।

इन चीजों से परहेज करें- तैलीय पदार्थ, मक्खन, घी, डालडा, चिप्स, मुर्गी का गोश्त, अचार, पापड़ एवं सॉस,  चॉकलेट, आइसक्रीम, शीतल पेय का सेवन न करें। नमक सेवन और सुझाव- ज्यादा नमक वाले भोजन न खाएं। खाने की मेज पर रखी नमक की डिबिया को हटा दें। नमक के बजाए सब्जियों पर नींबू का रस छिड़कें। अचार, चटनी, पापड़, नमकीन, मूंगफली, चिप्स आदि का सेवन न करें क्योंकि इसमें नमक अधिक होता है। खाने की चीजों पर नमक कम डालकर पकाएं। शराब की मात्रा को कम करें। सिगरेट पीना छोड़ दें।  तम्बाकू गुटखा खाना बंद करें। 

कौन से लक्षण या तकलीफ होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए? निम्नलिखित लक्षण या तकलीफ होने पर तुरन्त डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए? तेज सिरदर्द, नजर में परिवर्तन, साँस लेने में परेशानी, अचानक घबराहट, समझने या बोलने में कठिनाई, निगलने में कठिनाई, सीने में दर्द या भारीपन, चक्कर आना, चेहरे, बाँह या पैरों में अचानक सुन्नपन, झुनझुनी या कमजोरी महसूस होना।

हर व्यक्ति को 30 वर्ष की आयु के पश्चात साल में कम से कम एक बार अपना रक्तचाप Blood Pressure की जाँच अवश्य कराना चाहिए। जिन लोगों के परिवार में उक्त रक्तचाप का इतिहास है उन्होंने 20 वर्ष की आयु के बाद से ही प्रतिवर्ष रक्तचाप की जांच कराना चाहिए। जो उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं उन्हें अपने डॉक्टर की सलाह अनुसार नियमित रक्तचाप की जांच कराना चाहिए।

 

डा. आर. सी. व्यास (सेवानिवृत्त),

पूर्व संयुक्त निदेशक (स्वास्थ्य सेवाएं), यूपी सरकार,

उपाध्यक्ष R.S.V.S